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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद और उग्रवाद के ‘‘कई सिर वाले राक्षस'' से पूरी ताकत और दृढ़ता के साथ लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने इसे कूटनीतिक फायदे के लिए हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करने के खिलाफ भी आगाह किया। भारत द्वारा आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की 23वीं बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के बारे में भी बात की।शहबाज शरीफ ने यह प्रतिक्रिया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी सुनाने के बाद दी। प्रधानमंत्री मोदी ने पाक का बिना नाम लिए आतंकवादियों को आश्रय देने का आरोप लगाया। PM मोदी ने कहा कि एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए, जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं।
इस पर प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा, ‘‘आतंकवाद और उग्रवाद के कई सिर वाले राक्षस से-चाहे वह व्यक्तियों, समाज या राज्यों द्वारा प्रायोजित हो- पूरी ताकत और दृढ़ विश्वास के साथ लड़ना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में कूटनीतिक मुद्दे के लिए इसे एक औजार के रूप में इस्तेमाल करने के किसी भी प्रलोभन से बचना चाहिए।'' शरीफ ने कहा, ‘‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद समेत सभी तरह के आतंकवाद की स्पष्ट और कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। चाहे कारण या बहाना कुछ भी हो, निर्दोष लोगों की हत्या का कोई औचित्य नहीं हो सकता है।'' उन्होंने कहा कि आतंकवाद के संकट से लड़ने में पाकिस्तान द्वारा किए गए बलिदानों की कोई तुलना नहीं है, लेकिन यह अभी भी इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है और शांति तथा स्थिरता के लिए ‘‘गंभीर बाधा'' है।
प्रधानमंत्री ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर भी किसी भी देश का नाम लिए बिना कहा कि ‘‘घरेलू राजनीतिक एजेंडे के लिए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से दिखाने के चलन को रोका जाना चाहिए।'' शरीफ ने कश्मीर मुद्दे को भी उठाने की कोशिश की और लंबित विवादों के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की तीन बुराइयों के बारे में भी बात की और एससीओ देशों से इन बुराइयों का मुकाबला करने के लिए अपनी राष्ट्रीय और सामूहिक क्षमता, दोनों के साथ ठोस और तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने संपर्क के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक परिभाषित विशेषता बन गई है। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के बारे में कहा कि यह क्षेत्र में संपर्क और समृद्धि के लिए ‘‘गेम चेंजर'' हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पाकिस्तान जिस जगह स्थित है, वह एक प्राकृतिक सेतु के रूप में कार्य करता है, जो यूरोप और मध्य एशिया को चीन, दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया से जोड़ता है।'' उन्होंने कहा कि सीपीईसी के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्र, क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सुविधाजनक माध्यम के रूप में भी काम कर सकते हैं। सीपीईसी के तहत पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ा जाना है। यह चीन की कई अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रमुख परियोजना है। भारत ने CPEC पर चीन के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजर रहा है।
शरीफ ने यह भी कहा कि ‘‘जलवायु आपदा हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है'' और इससे निपटने के लिए वैश्विक एकजुटता और प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होंने पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ का भी जिक्र किया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को 30 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। उन्होंने विकसित देशों से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए गरीबों की मदद करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबी उन्मूलन SCO देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब हैं। उन्होंने कहा कि युद्धों और अन्य संबंधित मुद्दों के कारण वस्तुओं की कीमत में वृद्धि पर एससीओ देशों को कदम उठाना चाहिए।