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Teachers Day Special: खुद भी किसी 'किताब' से कम नहीं हैं भिलाई की टीचर शारदा... लिख डाली 20 किताबें; राष्ट्रपति भवन से आया बुलावा...

छत्तीसगढ़ 03 September 2024 (178)

खूब पढ़ा, खूब पढ़ाया: कल मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार, शरीर का 80 फीसदी हिस्सा दिव्यांग होने के बावजूद नहीं डिगा हौसला...

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देश24 न्यूज: 

Raipur: बचपन में अक्सर सिखाया जाता है, पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब... और वास्तव में इस सीख का ही नतीजा कहा जाए कि दिव्यांग होकर भी भिलाई की शिक्षिका के. शारदा ने अपनी प्रतिभा का उजियारा भिलाई से दिल्ली तक फैला दिया है। के. शारदा ने शिक्षा और शिक्षण को इस कदर दिल से लगाया कि, उन्हें सीधे राष्ट्रपति भवन से बुलावा आया है। राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें वहां अपने हाथों से सम्मानित करेंगी। पढ़िए, शिक्षक दिवस पर आधारित ये प्रेरक खबर... 


यकीन मानिए, भिलाई की शिक्षिका के. शारदा (K. Sharda) ने अपने जुनून के दम पर 'यथा नाम तथा गुण' की कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। 'लाखों में एक न सही', के. शारदा 50 शिक्षकों में से एक तो बन ही गई हैं। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के विजेताओं के नाम घोषित किए हैं। 50 नामों की सूची में 2 दिव्यांग शिक्षक भी शामिल हैं जिनमें से एक दुर्ग जिले की के. शारदा हैं। कल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर सभी का सम्मान किया जाएगा।

बातचीत में पता चला कि, के. शारदा (K. Sharda) असल में खुद किसी किताब से कम नहीं हैं। ्अब तक वह 20 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं, जिसका हर पन्ना कुछ न कुछ प्रेरणा देता है। अभी वे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा में पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि जब वह 3-4 साल की थी, तब से पोलियो के कारण कमर से नीचे का हिस्सा 80 फीसदी दिव्यांग है। इनके बड़े भाई कांधे पर बैठाकर स्कूल ले जाते थे। के. शारदा भिलाई कैंप 1 की रहने वाली हैं। परिवार में मां-बाप और दो भाई बहन हैं। के. शारदा ने बताया कि बीएसपी स्कूल कैंप-1 में 8वीं तक पढ़ाई की हैं, लेकिन 9वीं क्लास में सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता था। दिव्यांग होने के कारण चढ़ नहीं पाती थी। ऐसे में 9वीं से 12वीं सरकारी स्कूल और फिर सरकारी कॉलेज से बीए इकोनॉमिक और एमएससी मैथ की डिग्री हासिल है। साल 2019 से वे शिक्षण के क्षेत्र में हैं। फिलहाल वे खेदामारा में गणित विषय की शिक्षिका हैं।

प्रतिभा की धनी टीचर की खूबियों में यह भी...

के. शारदा (K. Sharda) ने बताया कि कोरोना के दौरान जब बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे थे, तो उन्होंने डिजिटल पैटर्न में जाने की ठानी। घर पर ही टीचिंग लर्निंग मटेरियल के जरिए गणित के अलग-अलग टॉपिक पर वीडियो बनाना शुरू किया। अब तक वे 270 से ज्यादा वीडियो बना चुकी हैं। शारदा ने बताया कि वीडियोज को यू-ट्यूब चैनल में अपलोड कर बच्चों तक पहुंचाती थी। इसके जरिए उनके स्कूल के ही नहीं, बल्कि दूसरे स्कूलों के बच्चों ने भी वीडियो देखकर गणित का कोर्स कम्प्लीट किया। उनके वीडियो को प्रदेश में काफी पसंद किया गया।

पढ़ाई को खेल-खेल में ही बनाया आसान: 

अध्यापिका के. शारदा (K. Sharda) ने बताया कि, उन्होंने आॅडियो-वीडियो बुक्स, ई-कंटेट और खिलौना बुक बनाकर बच्चों के लिए खेल-खेल में पढ़ाई को आसान बनाया। पाठ्यक्रम को आसान बनाने के लिए 20 अलग-अलग विषयों पर किताबें लिखी। कुछ किताबें सरकारी स्कूलों में बतौर पाठ्यक्रम शामिल की गई हैं। इतना ही नहीं, के. शारदा बस्तर क्षेत्र के बच्चों के लिए हल्बी और हिंदी भाषा में भी किताबें लिखी हैं, जो बस्तर के कल्चर को बताती है, जिनसे स्कूलों में पढ़ाई हो रही है।

राज्यपाल के हाथों भी हो चुकी हैं सम्मानित:

बताते चलें कि, के. शारदा (K. Sharda) वर्ष 2023 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्यपाल के हाथों भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें तत्कालीन राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने सम्मान दिया था। के. शारदा बचपन से ही पोलियो से पीड़ित थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए नए नवाचार करती जा रही हैं। अब वे राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होंगी। इस लिस्ट में 28 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षकों को शॉर्ट लिस्टेड किया गया है। लिस्ट में 34 पुरुष, 16 महिलाओं का नाम है।

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