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गबड़बड़ी के आरोप में घिरे कुलपति डॉ. राम शंकर हटाए गए... डॉ. अलंग को सौंपा गया प्रभार...

छत्तीसगढ़ 10 May 2024 (587)

राजभवन से जारी हुआ आदेश: महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विवि के कुलपति को पद से हटाया गया...

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देश24 न्यूज: 

Raipur. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने प्रदेश के महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor of Mahatma Gandhi University of Horticulture and Forestry) को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। इस संबंध में शुक्रवार को ही राजभवन से आदेश जारी किया गया है। राज्यपाल ने उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 17 अंतर्गत डॉ. रामशंकर कुरील को महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, पाटन, दुर्ग के कुलपति के पद से तत्काल प्रभाव से हटाए जाने का आदेश दिया गया है।


आदेश के मुताबिक महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 14(7) अंतर्गत डॉ अलंग संभागायुक्त, रायपुर संभाग, रायपुर को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, पाटन, दुर्ग के कुलपति के रुप में दायित्व निवर्हन हेतु नामनिर्देशित किया गया है। आदेश के परिपालन में संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग ने भी शुक्रवार को ही कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

सहायक प्राध्यापक की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत:

बताते चलें कि महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय द्वारा सहायक प्राध्यापक के 36 पदों की भर्ती प्रक्रिया की में भारी अनियमितता की शिकायत है। सहायक प्राध्यापक के पदों लिए बनाए गए स्कोर कार्ड में भारी गड़बड़ी सामने आई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइड लाइन के अनुसार पीएचडी एवं नेट की परीक्षा के लिए पृथक-पृथक अंक देना था, जो कि नहीं किया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में पीएचडी उम्मीदवार उपलब्ध होते हुए भी गैर पीएचडीधारी अभ्यर्थियों का चयन एवं नियुक्ति की गई। सहायक प्राध्यापक की चयन समिति के गठन में भी दोषपूर्ण प्रक्रिया अपनाई गई।

कुछ अभ्यर्थियों के चयन में कुलसचिव को अंक देने से रोका:

विवि की चयन समिति में कुलसचिव द्वारा साक्षात्कार के अंक दिए गए थे, परंतु कुछ अभ्यर्थियों के चयन में कुलसचिव को अंक देने से रोक दिया गया था। साथ ही सहायक प्राध्यापक की नियुक्तियों को अनुमोदन देने वाले प्रबंध मंडल का गठन भी त्रुटिपूर्ण किया गया था। नामांकित व्यक्ति एवं विशेषज्ञ विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप नहीं थे। इससे छत्तीसगढ़ प्रदेश के पात्र एवं पीएचडी उपाधि प्राप्त अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में कम अंक देकर अन्य प्रदेश के उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई थी।

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