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Raipur: महाप्रभु जगन्नाथ यात्रा का पर्व छत्तीसगढ़ में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस मौके पर मुख्य आयोजन स्थल राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में विविध धार्मिक आयोजन हुए। वहीं मुख्यमंत्री (Chief Minister) विष्णुदेव साय ने आरती और पूजन किया। उनके साथ कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम और सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी रहे। इसके बाद अन्य प्रमुख मंदिरों से भी महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली गई।
इसी तरह रथ यात्रा कार्यक्रम के मंच पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साथ-साथ दिखे। ये पहला मौका था, जब किसी गैर सरकारी कार्यक्रम में दोनों एक साथ एक ही वक्त पर पहुंचे और साथ दिखाई दिए। दोनों नेता एक साथ जगन्नाथ प्रभु को मंदिर के गर्भगृह से लेकर आए और रथ पर पूजा भी की। रथ यात्रा का जगह-जगह उत्सवी अभिनंदन किया गया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही छत्तीसगढ़ के लिए भी है। महाप्रभु जगन्नाथ की जितनी कृपा ओडिशा पर रही है, उतनी ही कृपा छत्तीसगढ़ पर रही है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस साल भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। रथ यात्रा पर्व के क्रम में जांजगीर चांपा जिले के शिवरीनारायण मंदिर में महामंडलेश्वर राजेश्री राम सुंदर दास ने प्रभु श्री जगन्नाथ भगवान की विधि-विधान से पूजा अर्चना की। यहां शाम 5 बजे रथ में प्रभु श्री जगन्नाथ भगवान को बैठाकर रथयात्रा निकाली गई।
मुख्यमंत्री ने सोने की झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई:
राजधानी रायपुर के गायत्री मंदिर में पुरी के जगन्नाथ रथ यात्रा की तर्ज पर पुरानी परंपरा निभाई जाती है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छेरापहरा की रस्म पूरी कर सोने की झाड़ू से बुहारी लगाकर रथ यात्रा की शुरूआत की। इसके बाद मुख्यमंत्री साय प्रभु जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक लेकर गए।
ओडिशा की तर्ज पर होती है छत्तीसगढ़ में रथ यात्रा:
बताते चलें कि, रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य को जाना जाता है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के नाते छत्तीसगढ़ में भी इसका काफी बड़ा प्रभाव है। रविवार को निकाली गई रथयात्रा में प्रभु जगन्नाथ, भैया बलदाऊ और बहन सुभद्रा की खास अंदाज में पूजा-अर्चना की गई। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच की यह एक अटूट साझेदारी है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण-तीर्थ है, यहीं से वे जगन्नाथपुरी जाकर स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के मीठे बेरों को ग्रहण किया था। यहां वर्तमान में नर-नारायण का मंदिर स्थापित है।
प्रभु के रथ में इस बार स्टीयरिंग और ब्रेक भी...
टूरी-हटरी से निकाले गए रथ की खासियत यह है कि इसमें स्टीयरिंग और ब्रेक भी लगाया गया है। टूरी-हटरी से निकलने वाली रथयात्रा के दौरान तंग गलियों में भीड़ की वजह से रथ को कंट्रोल करना मुश्किल होता था। इस वजह से 2009 में रथयात्रा का रूट हनुमान चौक से सत्ती बाजार के बजाय सीधे तात्यापारा चौक कर दिया गया था। इस बार यात्रा पुराने रूट से होकर गुजरी।
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